अशोक चक्रधर जी का जीवन परिचय : अशोक चक्रधर हिंदी साहित्य के एक प्रसिद्ध विद्वान, कवि और लेखक हैं। मुख्य रूप से हास्य-व्यंग्य के क्षेत्र में अपनी विशिष्ट प्रतिभा के कारण अशोक चक्रधर जी प्रसिद्ध हैं आपको यह भी बता दें कि अशोक चक्रधर जी का जन्मदिन 8 फरवरी को राष्ट्रीय हास्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।
आपको बता दें कि चक्रधर जी एक बहुमुखी प्रतिभा के धनी व्यक्ति हैं। वे एक कवि, नाटककार, कहानीकार, निबंधकार, आलोचक, अभिनेता, निर्देशक और गायक हैं, उन्हें हास्य-व्यंग्य के लिए जाना जाता है, उन्होंने कई कविताएँ, नाटक, कहानियाँ, और लेख लिखे हैं।
उन्हें उनकी प्रेरणादायक रचनाओं के लिए कई पुरस्कार भी मिले है, जो इनकी रचनाओं की महत्ता को दर्शाते है।
यह लेख अशोक चक्रधर जी के जीवन परिचय के बारे में विस्तार से जानकरी प्रदान करता है।
नाम | अशोक चक्रधर |
जन्म | 8 फरवरी 1951 |
जन्मस्थान | खुर्जा, उत्तर प्रदेश |
मृत्यु | 30 नवंबर 2022 |
मृत्युस्थान | नोएडा, उत्तर प्रदेश |
शिक्षा | डी.लिट् |
पेशा | लेखक, कवि, हास्य-व्यंग्यकार, शिक्षक |
भाषा | हिंदी |
प्रमुख रचनाएं | "वो जो हँसते हैं", "इसीलिए तो मैं हँसता हूँ", "हास्य-व्यंग्य का इतिहास", "कंप्यूटर और हिंदी" |
पुरस्कार | साहित्य अकादमी पुरस्कार, पद्म श्री |
साहित्यिक काल | आधुनिक काल |
इस लेख में क्या है?
जन्म, परिवार और प्रष्ठभूमि
अशोक चक्रधर जी का जन्म 8 फरवरी 1951 को उत्तर प्रदेश के खुर्जा शहर में हुआ था। उनका जन्म एक निम्न-मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। उनके पिता, डॉ. राधेश्याम 'प्रगल्भ', एक शिक्षक, कवि, बाल साहित्यकार और संपादक थे। उनकी माता, कुसुम 'प्रगल्भ', एक गृहिणी थीं।
शिक्षा और कैरियर
उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा खुर्जा में ही प्राप्त की। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज से हिंदी में एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। 1972 में, उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय के सत्यवती कॉलेज में प्रध्यापक के रूप में अपना करियर शुरू किया। उन्होंने 2011 में सेवानिवृत्त हुए।
चक्रधर जी ने अपने करियर में कई महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्हें कई राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। उन्होंने कई देशों में अपनी रचनाओं का पाठ किया है। वे हिंदी साहित्य के एक लोकप्रिय और सम्मानित व्यक्ति रहे हैं।
अशोक चक्रधर जी की रचनाएं
अशोक चक्रधर जी ने कई विधाओं में रचनाएं लिखी हैं, जिनमें कविता, नाटक, कहानी, निबंध, आलोचना, अनुवाद और बाल साहित्य शामिल हैं, उनकी कुछ प्रमुख रचनाएं इस प्रकार हैं
कविता
- बूढ़े बच्चे
- भोले भाले
- तमाशा
- बोल-गप्पे
- मंच मचान
- कुछ कर न चम्पू
- अपाहिज कौन
- मुक्तिबोध की काव्यप्रक्रिया
नाटक
- रंग जमा लो
- बिटिया की सिसकी
- बंदरीया चली ससुराल
- जब रहा ना कोई चारा
- जाने क्या तपके
कहानी
- कोयल का सितार
- स्नेह का सपना
- हीरों की चोरी
- एक बगिया में
निबंध
- हिन्दी के विकास में कम्प्यूटर की भूमिका
आलोचना
- मुक्तिबोध की काव्य-भाषा
- नयी कविता: स्वरूप और संवेदना
अनुवाद
- टॉमस ग्रे की कविताएँ
बाल साहित्य
- चंदा मामा दूर के
- छोटी-छोटी कहानियाँ
- रंग-बिरंगी कविताएँ
अशोक चक्रधर जी की भाषा शैली
चक्रधर जी की भाषा सरल और सहज है। उनकी रचनाओं को पढ़ने में किसी को भी कोई कठिनाई नहीं होती है, चक्रधर जी की भाषा स्पष्ट और प्रभावशाली है। वे अपनी बात को सरल शब्दों में कहकर पाठक को प्रभावित करते हैं। साथ ही चक्रधर जी की भाषा में विनोद और व्यंग्य का विशेष महत्व है। वे अपनी रचनाओं में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों को भी विनोद और व्यंग्य के माध्यम से उठाते हैं। चक्रधर जी की भाषा कल्पनाशीलता से भरपूर है। वे अपनी रचनाओं में कल्पनाशीलता का प्रयोग करके पाठक को आकर्षित करते हैं।
चक्रधर जी की भाषा शैली में विविधता है। वे अपनी रचनाओं में विभिन्न प्रकार की भाषा का प्रयोग करते हैं, जो उनकी रचनाओं को रोचक बनाता है। चक्रधर जी की भाषा शैली हिंदी साहित्य में अपनी विशिष्ट पहचान रखती है।
हिंदी साहित्य में योगदान और स्थान
मुख्य रूप से चक्रधर जी को हिंदी साहित्य में हास्य-व्यंग्य के लिए जाना जाता है। उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मुद्दों को हास्य-व्यंग्य के माध्यम से उठाया है। उनकी रचनाओं ने लोगों को सामाजिक मुद्दों के बारे में सोचने और जागरूक होने के लिए प्रेरित किया है।
इसके अलावा चक्रधर जी ने बच्चों के लिए भी कई रचनाएं लिखी हैं, जिनमें कहानियाँ, कविताएँ और नाटक शामिल हैं। उनकी रचनाओं ने बच्चों को शिक्षा और मनोरंजन प्रदान किया है।
आपको बता दें कि चक्रधर जी ने कंप्यूटर में हिंदी के प्रयोग को लेकर महत्वपूर्ण काम किया है। उन्होंने हिंदी भाषा के विकास में कंप्यूटर की भूमिका पर कई लेख और पुस्तकें लिखी हैं। चक्रधर जी ने कई विदेशी भाषाओं की रचनाओं का हिंदी में अनुवाद किया है। उनके अनुवादों ने हिंदी भाषी पाठकों को विदेशी साहित्य से परिचित कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। चक्रधर जी ने कई वर्षों तक दिल्ली विश्वविद्यालय में हिंदी भाषा और साहित्य का अध्यापन किया। उन्होंने कई छात्रों को हिंदी भाषा और साहित्य की शिक्षा दी है।
चक्रधर जी का हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान और स्थान है क्योंकि उन्होंने अपनी रचनाओं और कार्यों से हिंदी भाषा और साहित्य को समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
मुख्य पुरस्कार, सम्मान और उपाधियां
वर्ष | पुरस्कार और सम्मान |
1980 | साहित्य अकादमी पुरस्कार (कविता के लिए) |
1984 | हिंदी अकादमी पुरस्कार (कविता के लिए) |
1992 | कुमार गंधर्व पुरस्कार (हास्य-व्यंग्य के लिए) |
2000 | केंद्रीय हिंदी संस्थान पुरस्कार (कविता के लिए) |
2003 | साहित्य अकादमी अनुवाद पुरस्कार |
2004 | राष्ट्रीय हास्य-व्यंग्य पुरस्कार |
2007 | भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार |
2013 | महादेवी वर्मा पुरस्कार |
2014 | पद्म श्री |
1995 | दिल्ली विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट् की उपाधि |
2001 | साहित्य अकादमी का फेलो |
2004 | भारतीय भाषा परिषद का फेलो |
2007 | भारतीय साहित्य अकादमी का फेलो |
1982 | 'विद्यासागर' |
1983 | 'कविश्री' |
1985 | 'हास्यरत्न' |
1990 | 'व्यंग्य सम्राट' |
1995 | 'साहित्य भूषण' |
2000 | 'साहित्य रत्न' |
2005 | 'साहित्य मार्तंड' |
2010 | 'साहित्य शिरोमणि' |
उन्हें उनकी रचनाओं और कार्यों के लिए कई पुरस्कार, सम्मान और उपाधियां मिली
हैं। यहाँ कुछ प्रमुख पुरस्कार, सम्मान और उपाधियां दी गई हैं -
अशोक चक्रधर जी का निधन
अशोक चक्रधर जी का 30 नवंबर 2022 को नोएडा, उत्तर प्रदेश में निधन हो गया था। वे 72 वर्ष के थे। उनकी मृत्यु का कारण हृदय गति रुकना था। उनकी मृत्यु हिंदी साहित्य के लिए एक बड़ी क्षति थी।
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