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माखनलाल चतुर्वेदी जी का जीवन परिचय

माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी जी का जीवन परिचय : माखनलाल चतुर्वेदी जी हिंदी साहित्य के महान कवि, लेखक और पत्रकार थे। सरल भाषा और ओजपूर्ण भावनाओं के वे अनूठे रचनाकार थे। प्रभा और कर्मवीर जैसे प्रतिष्ठित पत्रों के संपादक के रूप में उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जोरदार प्रचार किया और नई पीढ़ी का आह्वान किया कि वह गुलामी की जंज़ीरों को तोड़ कर बाहर आए।

इसके लिए उन्हें अनेक बार ब्रिटिश साम्राज्य का कोपभाजन बनना पड़ा। वे सच्चे देशप्रेमी थे और 1921-22 के असहयोग आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेते हुए जेल भी गए।

माखनलाल चतुर्वेदी जी "हिंदी के राष्ट्रीय कवि" के रूप में जाने जाते हैं।.उनकी रचनाओं में 'हिमतरंगिनी', 'युग चरण', 'समर्पण', 'मरण ज्वार', 'माता', 'वेणु लो गूँजे धरा', 'बीजुरी काजल आँज रही' आदि प्रसिद्ध हैं।

उन्हें 1955 में 'हिमतरंगिनी' के लिए पहला साहित्य अकादमी पुरस्कार और 1963 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

यह लेख आपको माखनलाल चतुर्वेदी जी के जीवन, रचनाओं और उनके योगदान के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है।

माखनलाल चतुर्वेदी का संक्षिप्त परिचय

नाम माखनलाल चतुर्वेदी
जन्म 4 अप्रैल 1889
जन्म स्थान बाबई, होशंगाबाद, मध्य प्रदेश
निधन 30 जनवरी 1968
निधन स्थान खंडवा, मध्य प्रदेश
उपाधि हिंदी के राष्ट्रीय कवि
भाषा हिंदी
प्रमुख रचनाएं हिमतरंगिनी, युग चरण, समर्पण, मरण ज्वार
पुरस्कार साहित्य अकादमी पुरस्कार (1955)
योगदान स्वतंत्रता आंदोलन, क्रांतिकारी विचारों का प्रचार, युवाओं को प्रेरणा, पत्रकारिता
भाषा शैली सरल, सहज, ओजपूर्ण, राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत
हिंदी साहित्य में स्थान महान कवि, लेखक, पत्रकार
प्रेरणा देशभक्ति, सामाजिक सुधार, क्रांतिकारी विचारों, सरल भाषा के माध्यम से प्रभावपूर्ण लेखन
साहित्यिक काल अधुनिक युग


माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म और परिवार

माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म 4 अप्रैल 1889 को मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले के बाबई नामक स्थान पर हुआ था। उनके पिता पंडित नन्दलाल चतुर्वेदी, एक गरीब ब्राह्मण परिवार से थे, वे संस्कृत और हिंदी के विद्वान थे और माता सुंदरीबाई, धार्मिक और कुशल गृहिणी थीं। माखनलाल चतुर्वेदी जी के तीन भाई और दो बहनें थीं।

आपको बता दे कि माखनलाल चतुर्वेदी जी का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। उनके पिता संस्कृत और हिंदी के विद्वान थे और उनकी माता धार्मिक और कुशल गृहिणी थीं। उनका बचपन गरीबी और संघर्षों से भरा था। शिक्षा के प्रति उनकी लगन और मेहनत ने उन्हें सफलता दिलाई।

माखनलाल चतुर्वेदी जी की शिक्षा और करियर

माखनलाल चतुर्वेदी जी ने अपने गांव के स्कूल में प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने होशंगाबाद जिले के हाई स्कूल में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक की डिग्री प्राप्त की।

माखनलाल चतुर्वेदी जी ने 1914 में शिक्षक के रूप में अपना करियर शुरू किया। वे 1920 में "प्रभा" पत्रिका के संपादक बने। वे 1923 में "कर्मवीर" पत्रिका के संपादक बने। वे 1947 में भारत की स्वतंत्रता के बाद "हिंदुस्तान" पत्रिका के संपादक बने। वे 1955 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित हुए। वे 1963 में पद्म भूषण से सम्मानित हुए।

वे देशभक्त और क्रांतिकारी विचारों के लिए जाने जाते थे। वे सामाजिक सुधारों के समर्थक थे। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया।

माखनलाल चतुर्वेदी जी का स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान

माखनलाल चतुर्वेदी जी हिंदी साहित्य के एक महान कवि, लेखक और पत्रकार थे। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन में भी महत्वपूर्ण योगदान दिया -

क्रांतिकारी विचारों का प्रचार: माखनलाल जी ने अपनी रचनाओं और पत्रकारिता के माध्यम से क्रांतिकारी विचारों का प्रचार किया।

युवाओं को प्रेरणा: उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से युवाओं को देशभक्ति और स्वतंत्रता के लिए प्रेरित किया।

आंदोलनों में भागीदारी: उन्होंने सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आंदोलन आदि अनेक आंदोलनों में सक्रिय रूप से भाग लिया।

जेल यात्रा: स्वतंत्रता आंदोलन में भाग लेने के कारण उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

राष्ट्रीय चेतना का जागरण: उन्होंने अपनी रचनाओं और पत्रकारिता के माध्यम से लोगों में राष्ट्रीय चेतना का जागरण किया।

माखनलाल चतुर्वेदी जी स्वतंत्रता आंदोलन के एक महत्वपूर्ण स्तंभ थे। उन्होंने अपनी रचनाओं और पत्रकारिता के माध्यम से लोगों को प्रेरित किया और देश की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

माखनलाल चतुर्वेदी जी की रचनाएँ

माखनलाल चतुर्वेदी जी हिंदी साहित्य के एक महान कवि, लेखक और पत्रकार थे। उन्होंने विभिन्न विधाओं में रचनाएँ लिखीं, जिनमें कविता, कहानी, नाटक, निबंध आदि शामिल हैं।

उनकी प्रमुख रचनाएँ -

कविता

हिमतरंगिनी
युग चरण
समर्पण
मरण ज्वार
माता
वेणु लो गूँजे धरा
बीजुरी काजल आँज रही

कहानी

बाजीगर
श्यामा
पतिता

नाटक

ध्रुवस्वामिनी
चंद्रगुप्त
संन्यासी

निबंध

साहित्य और जीवन
राष्ट्र और समाज
संस्कृति और शिक्षा

माखनलाल चतुर्वेदी जी की भाषा शैली

माखनलाल चतुर्वेदी जी हिंदी साहित्य के एक महान कवि, लेखक और पत्रकार थे। उनकी भाषा शैली अपनी विशिष्टता और प्रभाव के लिए जानी जाती है।

उनकी भाषा शैली की विशेषताएं

सरल और सहज भाषा: माखनलाल जी ने अपनी रचनाओं में सरल और सहज भाषा का प्रयोग किया, जिससे उनकी रचनाएं आम जनता के लिए भी आसानी से समझने योग्य हो गईं।

ओजपूर्ण भावनाओं और बिंबों का सजीव चित्रण: उनकी रचनाओं में ओजपूर्ण भावनाओं और बिंबों का सजीव चित्रण पाया जाता है, जो पाठकों के मन में देशभक्ति, सामाजिक चेतना और मानवीय मूल्यों की भावनाएं जागृत करते हैं।

भाषा की संवेदनशीलता और लोकप्रियता: उनकी भाषा में संवेदनशीलता और लोकप्रियता का अद्भुत मिश्रण है, जिसके कारण उनकी रचनाएं जन-जन तक पहुंचीं और लोगों को प्रेरित करती रहीं।

राष्ट्रीय भावना और देशभक्ति की भावना: उनकी रचनाओं में राष्ट्रीय भावना और देशभक्ति की भावना प्रबलता से उभरकर सामने आती है।

सामाजिक और मानवीय मूल्यों का प्रतिपादन: उनकी रचनाओं में सामाजिक और मानवीय मूल्यों का प्रतिपादन किया गया है, जो समाज को एक बेहतर दिशा प्रदान करते हैं।

सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों के खिलाफ आवाज: उन्होंने अपनी रचनाओं में सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई और समाज सुधार की बात कही।

नारी शक्ति और समानता का समर्थन: उन्होंने अपनी रचनाओं में नारी शक्ति और समानता का समर्थन किया और महिलाओं को सशक्त बनाने की बात कही।

माखनलाल चतुर्वेदी जी का हिंदी साहित्य में योगदान और स्थान

माखनलाल चतुर्वेदी जी हिंदी साहित्य के एक महान कवि, लेखक और पत्रकार थे। उन्होंने हिंदी साहित्य में अनेक महत्वपूर्ण योगदान दिए, जिनमें से कुछ प्रमुख योगदान इस प्रकार हैं -

1. राष्ट्रीय चेतना का जागरण

माखनलाल जी की रचनाओं ने हिंदी भाषी क्षेत्र में राष्ट्रीय चेतना का जागरण किया। उनकी रचनाओं ने लोगों को देशभक्ति, स्वतंत्रता और सामाजिक सुधार के लिए प्रेरित किया। उनकी कविता "पुष्प की अभिलाषा" आज भी देशभक्ति का एक प्रतीक मानी जाती है।

2. सामाजिक सुधार

माखनलाल जी ने अपनी रचनाओं में सामाजिक बुराइयों और कुरीतियों के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने जातिवाद, छुआछूत, दहेज प्रथा, बाल विवाह आदि सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लोगों को जागरूक किया, उन्होंने अपनी रचनाओं में महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें समान अधिकार दिलाने की बात कही।

3. भाषा शैली

माखनलाल जी की भाषा शैली सरल, सहज और ओजपूर्ण थी। उन्होंने अपनी रचनाओं में सरल शब्दों का प्रयोग किया, जिससे उनकी रचनाएं आम जनता के लिए भी आसानी से समझने योग्य हो गईं। उनकी भाषा शैली ने आने वाली पीढ़ी के लेखकों और कवियों को प्रेरित किया।

4. विविध विधाओं में रचना

माखनलाल जी ने कविता, कहानी, नाटक, निबंध आदि विविध विधाओं में रचनाएं लिखीं। उनकी रचनाओं में विविधता और नवीनता का अद्भुत मिश्रण था। उनकी रचनाओं ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया।

5. पुरस्कार और सम्मान

माखनलाल जी को उनकी रचनाओं के लिए अनेक पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित किया गया। उन्हें 1955 में "हिमतरंगिनी" के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें 1963 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया।

माखनलाल चतुर्वेदी जी हिंदी साहित्य के एक महान कवि, लेखक और पत्रकार थे। उन्हें हिंदी साहित्य में राष्ट्रीय कवि के रूप में जाना जाता है। उनका हिंदी साहित्य में स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है।

माखनलाल चतुर्वेदी जी हिंदी साहित्य के एक महान स्तंभ थे। उनकी रचनाओं ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया और लोगों को प्रेरित किया। उनका योगदान हिंदी साहित्य में अविस्मरणीय रहेगा।

माखनलाल चतुर्वेदी जी के पुरस्कार, उपाधियां और सम्मान

1955 साहित्य अकादमी पुरस्कार - "हिमतरंगिनी" के लिए
1943 देव पुरस्कार - "हिमकिरीटिनी" के लिए
1958 मैथिलीशरण गुप्त पुरस्कार
1962 मंगलाप्रसाद पारितोषिक
1959 सागर विश्वविद्यालय द्वारा डी.लिट्. की मानद उपाधि
1963 भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण से सम्मानित
1967 मध्य प्रदेश सरकार द्वारा "मध्य प्रदेश के प्रथम राष्ट्रकवि" की उपाधि से सम्मानित
1930 महात्मा गांधी द्वारा "कर्मवीर" की उपाधि से सम्मानित
1953 "हिमतरंगिनी" का मराठी में अनुवाद
1954 "हिमतरंगिनी" का रूसी भाषा में अनुवाद
1957 "हिमतरंगिनी" का गुजराती भाषा में अनुवाद
1960 "हिमतरंगिनी" का अंग्रेजी भाषा में अनुवाद

माखनलाल चतुर्वेदी जी का निधन

माखनलाल चतुर्वेदी जी का निधन 30 जनवरी 1968 को खंडवा, मध्य प्रदेश में हुआ था। वे 78 वर्ष के थे। उनका जन्म 4 अप्रैल 1889 को होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में हुआ था।

माखनलाल चतुर्वेदी जी के निधन के बाद उनकी स्मृति में खंडवा में "माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय स्मारक" बनाया गया है। उनकी जन्मभूमि बाबई का नाम बदलकर "माखननगर" कर दिया गया है। भोपाल में "माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय" स्थापित किया गया है।

FAQs

1. माखनलाल चतुर्वेदी का जन्म कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर: 4 अप्रैल 1889 को होशंगाबाद, मध्य प्रदेश में।

2. माखनलाल चतुर्वेदी का निधन कब और कहाँ हुआ था?

उत्तर: 30 जनवरी 1968 को खंडवा, मध्य प्रदेश में।

3. माखनलाल चतुर्वेदी को किस उपाधि से जाना जाता है?

उत्तर: हिंदी के राष्ट्रीय कवि

4. माखनलाल चतुर्वेदी ने किस भाषा में रचनाएं लिखीं?

उत्तर: हिंदी

5. माखनलाल चतुर्वेदी की प्रमुख रचनाएं कौन सी हैं?

उत्तर: हिमतरंगिनी, युग चरण, समर्पण, मरण ज्वार

6. माखनलाल चतुर्वेदी ने किस पुरस्कार से सम्मानित किया गया था?

उत्तर: साहित्य अकादमी पुरस्कार (1955)

7. माखनलाल चतुर्वेदी ने स्वतंत्रता आंदोलन में क्या योगदान दिया?

उत्तर: उन्होंने अपनी रचनाओं और पत्रकारिता के माध्यम से क्रांतिकारी विचारों का प्रचार किया, युवाओं को प्रेरित किया और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया।

8. माखनलाल चतुर्वेदी की भाषा शैली की विशेषताएं क्या हैं?

उत्तर: सरल, सहज, ओजपूर्ण, राष्ट्रीय भावना से ओतप्रोत

9. माखनलाल चतुर्वेदी का हिंदी साहित्य में स्थान क्या है?

उत्तर: वे हिंदी साहित्य के एक महान कवि, लेखक और पत्रकार थे। उनका हिंदी साहित्य में महत्वपूर्ण स्थान है।

10. माखनलाल चतुर्वेदी के जीवन और रचनाओं से हमें क्या प्रेरणा मिलती है?

उत्तर: हमें देशभक्ति, सामाजिक सुधार, क्रांतिकारी विचारों, और सरल भाषा के माध्यम से प्रभावपूर्ण लेखन की प्रेरणा मिलती है।

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