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रघुवीर सहाय का जीवन परिचय (साहित्यकार और पत्रकार)

रघुवीर सहाय का जीवन परिचय

रघुवीर सहाय का जीवन परिचय : रघुवीर सहाय, हिंदी साहित्य के एक ऐसे स्तंभ थे जिनकी रचनाओं में शब्दों का जादू बसता था। 'नई कविता' के प्रमुख हस्ताक्षरों में से एक, रघुवीर सहाय जी ने अपनी कलम से यथार्थवाद और मानवीय संवेदनाओं को एक नया आयाम दिया।

रघुवीर सहाय को साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी फैलोशिप, पद्म भूषण और पद्म विभूषण जैसे अनेक पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।

यह लेख आपको रघुवीर सहाय जी के जीवन, रचनाओं और उनके योगदान के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है।

रघुवीर सहाय का संक्षिप्त परिचय

नाम रघुवीर सहाय
जन्म तिथि 9 दिसंबर 1929
जन्म स्थान लखनऊ, उत्तर प्रदेश
पत्नी विमलेश्वरी सहाय
माता-पिता श्री. हरदेवर सहाय, श्रीमती तारादेवी सहाय
मृत्यु तिथि 30 दिसंबर 1990
मृत्यु स्थान दिल्ली
शिक्षा एम.ए. (अंग्रेजी) लखनऊ विश्वविद्यालय
पेशा कवि, पत्रकार, संपादक
प्रमुख रचनाएँ सीढ़ियाँ, हँसो हँसो जल्दी हँसो, लोग भूल गए हैं, आत्महत्या के विरुद्ध, आओ, जल-भरे बरतन में, आज फिर शुरू हुआ
पुरस्कार और सम्मान साहित्य अकादमी पुरस्कार, ज्ञानपीठ पुरस्कार, साहित्य अकादमी फैलोशिप, पद्म भूषण, पद्म विभूषण
रुचि साहित्य, संगीत, कला
प्रेरणा जीवन के अनुभव, सामाजिक मुद्दे, मानवीय भावनाएँ
रचनात्मक शैली यथार्थवाद, सामाजिक यथार्थवाद, मानवीय संवेदनाओं का चित्रण
भाषा सरल, सहज, बोलचाल की भाषा
प्रभाव हिंदी साहित्य पर गहरा प्रभाव, नई कविता को नया आयाम दिया
साहित्यिक काल आधुनिक युग


रघुवीर सहाय का जीवन परिचय

जन्म

रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर 1929 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में हुआ था। इनके पिता श्री हरदेव सहाय लखनऊ के 'बाँय एंग्लो बंगाली स्कूल' में साहित्य के अध्यापक थे।

पारिवारिक पृष्ठभूमि

रघुवीर सहाय के पिता श्री हरदेव सहाय लखनऊ के 'बाँय एंग्लो बंगाली स्कूल' में साहित्य के अध्यापक थे। वे संस्कृत और हिंदी भाषा के विद्वान थे और उन्हें साहित्य में गहरी रुचि थी। श्री हरदेव सहाय का रघुवीर सहाय की शिक्षा और रचनात्मकता पर गहरा प्रभाव पड़ा।

रघुवीर सहाय की माँ श्रीमती तारा देवी का देहान्त रघुवीर सहाय के जन्म के दो वर्ष बाद ही हो गया था।

1955 में रघुवीर सहाय का विवाह विमलेश्वरी सहाय से हुआ। विमलेश्वरी सहाय भी एक साहित्यकार थीं। रघुवीर सहाय और विमलेश्वरी सहाय के दो बच्चे थे - एक बेटी(वीणा) और एक बेटा(रंजीत)।

रघुवीर सहाय का परिवार साहित्य और कला से जुड़ा हुआ था। उनके पिता साहित्य के अध्यापक थे और उनके घर में अक्सर साहित्यकारों और कलाकारों का आना-जाना होता था। इस माहौल का रघुवीर सहाय की रचनात्मकता पर गहरा प्रभाव पड़ा।

रघुवीर सहाय का पारिवारिक जीवन सुखमय था। उनकी पत्नी विमलेश्वरी सहाय ने उनके जीवन और रचनात्मकता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

शिक्षा

रघुवीर सहाय की शिक्षा-दीक्षा लखनऊ में ही हुई थी। उन्होंने 1951 में लखनऊ विश्वविद्यालय से अंग्रेजी साहित्य में एम.ए. की उपाधि प्राप्त की। इंटर में अध्ययन-काल से ही इन्हें कविता लिखने का शौक था। 1946 से लेकर 1948 तक इनकी कविताएँ 'आजकल', 'प्रतीक' आदि पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं।

प्रारंभिक जीवन

रघुवीर सहाय का प्रारंभिक जीवन लखनऊ के सांस्कृतिक माहौल में बीता। उनके पिता साहित्य के अध्यापक थे और उनके घर में अक्सर साहित्यकारों और कलाकारों का आना-जाना होता था। इस माहौल का रघुवीर सहाय की रचनात्मकता पर गहरा प्रभाव पड़ा।

आपको बता दें कि इसी कारण रघुवीर सहाय को बचपन से ही कविता लिखने का शौक था। उन्होंने 1946 में 'आजकल' पत्रिका में अपनी पहली कविता 'शाम' प्रकाशित करवाई थी। इसके बाद उनकी कविताएँ 'प्रतीक', 'नवजीवन' और 'कल्पना' जैसी पत्रिकाओं में प्रकाशित होती रहीं।

पत्रकारिता भी कर चुके

रघुवीर सहाय ने 1949 में 'नवजीवन' पत्रिका से पत्रकारिता की शुरुआत की। 1951 में वे दिल्ली आ गए और 'प्रतीक' पत्रिका के सहायक संपादक बने। उन्होंने 'आकाशवाणी' में भी कुछ समय तक काम किया।

रघुवीर सहाय की प्रमुख रचनाएँ

कविता संग्रह

  • सीढ़ियाँ (1957)
  • हँसो हँसो जल्दी हँसो (1965)
  • लोग भूल गए हैं (1969)
  • आत्महत्या के विरुद्ध (1970)
  • आओ, जल-भरे बरतन में (1973)
  • आज फिर शुरू हुआ (1975)
  • 'दूसरा सप्तक' (सम्पादित)

गद्य रचनाएँ

  • रास्ता इधर से है (कहानी संग्रह)
  • दिल्ली मेरा परदेश (यात्रा वृत्तांत)
  • लिखने का कारण (निबंध संग्रह)

अनुवाद

  • बारह हंगरी कहानियाँ
  • विवेकानंद (रोमां रोला)
  • जेको (युगोस्लावी उपन्यास)
  • राख़ और हीरे (पोलिश उपन्यास)
  • वर्नम वन (मैकबेथ, शेक्सपियर)

रघुवीर सहाय की अन्य प्रसिद्ध कविताएँ

  • आओ, जल-भरे बरतन में
  • आज फिर शुरू हुआ
  • लोग भूल गए हैं
  • चेहरा
  • हत्या की संस्कृति
  • चढ़ती स्त्री
  • हिंदी दयावती का कुनबा
  • एक समय था वसंत
  • आपकी हँसी

भाषा और शैली

रघुवीर सहाय हिंदी साहित्य के एक महान कवि थे। उनकी भाषा और शैली उनकी रचनाओं को विशेष बनाती है। आपको बता दें कि रघुवीर सहाय की भाषा सरल और सहज है। वे आम बोलचाल की भाषा का प्रयोग करते हैं। उनकी भाषा में संस्कृत और हिंदी के शब्दों का मिश्रण है।

वे भाषा में विविधता लाने के लिए मुहावरों, लोकोक्तियों और कहावतों का प्रयोग करते हैं।

शैली की बात करें तो रघुवीर सहाय की शैली यथार्थवादी है। वे सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय व्यक्त करते हैं। उनकी शैली में व्यंग्य और विनोद का भी प्रयोग होता है। वे भाषा और शैली के माध्यम से मानवीय भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करते हैं।

हिंदी साहित्य में योगदान

रघुवीर सहाय हिंदी साहित्य के एक महान कवि और पत्रकार थे। उन्होंने हिंदी साहित्य में अमूल्य योगदान दिया जो निम्नलिखित है -

नई कविता: रघुवीर सहाय 'नई कविता' के प्रमुख साहित्यकारों में से एक थे। उन्होंने नई कविता को एक नया आयाम दिया।

यथार्थवाद: उनकी रचनाओं में सामाजिक यथार्थवाद और मानवीय संवेदनाओं का मार्मिक चित्रण मिलता है।

भाषा और शैली: उनकी भाषा सरल और सहज है, उनकी शैली यथार्थवादी है, और वे भाषा और शैली के माध्यम से मानवीय भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करते हैं।

विविध विषय: उन्होंने विभिन्न विषयों पर रचनाएं लिखीं, जैसे सामाजिक, राजनीतिक, प्रेम, प्रकृति आदि।

प्रभाव: उनकी रचनाओं का हिंदी साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है।

हिंदी साहित्य में स्थान

रघुवीर सहाय हिंदी साहित्य के एक महान कवि और पत्रकार थे। उनकी रचनाओं का हिंदी साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वे हिंदी साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

रघुवीर सहाय को हिंदी साहित्य में निम्नलिखित स्थान दिया जाता है -

नई कविता के प्रमुख कवि: रघुवीर सहाय 'नई कविता' के प्रमुख कवि थे। उन्होंने नई कविता को एक नया आयाम दिया।

यथार्थवादी कवि: रघुवीर सहाय की रचनाओं में सामाजिक यथार्थवाद और मानवीय संवेदनाओं का मार्मिक चित्रण मिलता है। वे हिंदी साहित्य के प्रमुख यथार्थवादी कवियों में से एक थे।

प्रभावशाली कवि: रघुवीर सहाय की रचनाओं का हिंदी साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। उन्होंने हिंदी साहित्य में यथार्थवाद को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

आपको बता दे कि रघुवीर सहाय हिंदी साहित्य के एक महान कवि और पत्रकार भी थे। उनकी रचनाओं का हिंदी साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वे हिंदी साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

प्रमुख पुरस्कार और सम्मान

रघुवीर सहाय जी को प्राप्त मुख्य पुरस्कारों और सम्मानों का विवरण -

वर्ष पुरस्कार/उपाधि/सम्मान
1982 साहित्य अकादमी पुरस्कार (लोग भूल गए हैं कविता संग्रह के लिए)
1989 ज्ञानपीठ पुरस्कार ('सीढ़ियों पर धूप में' कविता संग्रह के लिए)
1983 साहित्य अकादमी फैलोशिप
1982 पद्म भूषण
1990 पद्म विभूषण (मरणोपरांत)

इनके अलावा, रघुवीर सहाय को कई अन्य पुरस्कार और सम्मान भी मिले, जिनमें शामिल हैं -

वर्ष पुरस्कार/उपाधि/सम्मान
1975 भारतीय भाषा परिषद सम्मान
1985 सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार
1986 राजेंद्र प्रसाद शिखर सम्मान
1991 मरणोपरांत हंगरी का सर्वोच्च राष्ट्रीय सम्मान

'नई कविता' के प्रमुख साहित्यकार

रघुवीर सहाय जी ने अपनी सरल भाषा, यथार्थवादी शैली, विविध विषयवस्तु, नवीनता और प्रयोगशीलता के माध्यम से नई कविता को अनेक महत्वपूर्ण योगदान दिए। उनकी रचनाओं का हिंदी साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वे नई कविता के महान कवियों में से एक थे और हिंदी साहित्य के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे। आपको बता दें कि इसके अलावा रघुवीर सहाय जी 'नई कविता' के 'दूसरा सप्तक' समूह के प्रमुख कवि भी थे।

निधन

रघुवीर सहाय का निधन 30 दिसंबर 1990 को दिल्ली में हुआ था। उनकी रचनाओं का हिंदी साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वे हिंदी साहित्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं।

निष्कर्ष

रघुवीर सहाय हिंदी साहित्य के एक महान कवि और पत्रकार थे। उन्होंने नई कविता को एक नया आयाम दिया और हिंदी साहित्य में यथार्थवाद को स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी रचनाओं में सामाजिक यथार्थवाद और मानवीय संवेदनाओं का मार्मिक चित्रण मिलता है। उनकी भाषा सरल और सहज है, उनकी शैली यथार्थवादी है और वे भाषा और शैली के माध्यम से मानवीय भावनाओं को प्रभावशाली ढंग से व्यक्त करते हैं।

रघुवीर सहाय हिंदी साहित्य के एक महान कवि और पत्रकार थे। उनकी रचनाओं का हिंदी साहित्य पर गहरा प्रभाव पड़ा है। वे हिंदी साहित्य के इतिहास में हमेशा याद किए जाएंगे। उनके जीवन और रचनाओं का अध्ययन हिंदी साहित्य के अध्ययन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

FAQs

1. रघुवीर सहाय का जन्म किस शहर में हुआ था?

लखनऊ

2. रघुवीर सहाय की प्रथम कविता संग्रह का नाम क्या था?

दूसरा सप्तक

3. रघुवीर सहाय को किस वर्ष साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला था?

 1984

4. रघुवीर सहाय का निधन किस शहर में हुआ था?

दिल्ली

5. रघुवीर सहाय ने किस युगोस्लावी उपन्यास का हिंदी अनुवाद किया था?

जेको

6. रघुवीर सहाय की कविता 'आत्महत्या के विरुद्ध' किस पत्रिका में प्रकाशित हुई थी?

दिनमान

7. रघुवीर सहाय की कविता 'सीढ़ियों पर धूप में' किस विषय पर आधारित है?

आजादी के बाद के भारत की समस्याओं और आम आदमी की व्यथा पर

8. रघुवीर सहाय की कविता 'हंसो हंसो जल्दी हंसो' किस विधा की है?

व्यंग्यात्मक कविता

9. रघुवीर सहाय की कहानी 'रास्ता इधर से है' किस पुस्तक में संकलित है?

रास्ता इधर से है (कहानी संग्रह)

10. रघुवीर सहाय ने किस फ्रांसीसी लेखक की रचना 'विवेकानंद' का हिंदी अनुवाद किया था?

रोमां रोलां

11. रघुवीर सहाय की कविता 'लोग भूल गए हैं' किस पुस्तक में संकलित है?

लोग भूल गए हैं (कविता संग्रह)

12. रघुवीर सहाय की कविता 'वरनम वन' किस अंग्रेजी नाटक का हिंदी रूपांतरण है?

मैकबेथ

13. रघुवीर सहाय की कविता 'बारह हंगरी कहानियाँ' किस विधा की है?

अंशिक रूप से आत्मकथात्मक कविता

14. रघुवीर सहाय की कविता 'आज का विचार' किस पत्रिका में प्रकाशित हुई थी?

नवभारत टाइम्स

15. रघुवीर सहाय की कविता 'अपनी संतानों को कुत्ते की मौत मरने से बचाने' किस विषय पर आधारित है?

भारत की राजनीतिक और सामाजिक दुर्दशा पर।

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