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सावित्री नौटियाल काला 'सवि' का जीवन परिचय

सावित्री नौटियाल काला 'सवि' का जीवन परिचय

सावित्री नौटियाल काला 'सवि' देहरादून की एक प्रसिद्ध साहित्यकार और समाजसेविका हैं। आपको बता दें कि उन्होंने 35 वर्षों तक राजकीय विद्यालयों में शिक्षिका के रूप में कार्य किया और केंद्रीय विद्यालय (एफ.आर.आई) से वरिष्ठ प्रवक्ता के रूप में सेवानिवृत्त हुईं। 

उन्होंने 8 कविता संग्रह और 3 कहानी संग्रह प्रकाशित किए हैं और वे 'सवि' उपनाम से लेखन कार्य करती हैं। वे विभिन्न सामाजिक संस्थाओं से भी जुड़ी हुई हैं और महिलाओं की विधि सलाहकार भी हैं।

उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है, जिनमें सेवा रत्न, सेवा भूषण, लेखन मित्र, साहित्य अदब, नागरिक अभिनन्दन, मानव तथा साहित्य सेवा सम्मान, व्याख्यान प्रतिभागिता सम्मान, निरंतर सचित्र सृजन सम्मान आदि शामिल हैं।

उनकी रचनाओं में 'कैसी श्रद्धा', 'वर्जना', 'आत्मबल', 'नारी जीवन', 'प्रकृति प्रेम', 'सामाजिक मुद्दे' आदि विषयों का समावेश है।

यह लेख आपको सावित्री नौटियाल काला 'सवि' के जीवन, रचनाओं और उनके योगदान के बारे में जानने का अवसर प्रदान करता है।

जन्म और परिवार

सावित्री नौटियाल काला 'सवि' जी का जन्म 15 अगस्त 1940 को देहरादून, उत्तराखंड में हुआ था। उनका जन्म एक शिक्षक परिवार में हुआ था। उनके पिता श्री रामदत्त नौटियाल एक प्रसिद्ध शिक्षाविद् थे और उनकी माता श्रीमती शांति देवी एक गृहिणी थीं।

शिक्षा और कैरियर

सवि जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा देहरादून में ही प्राप्त की। उन्होंने गढ़वाल विश्वविद्यालय से हिंदी साहित्य में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। शिक्षा के क्षेत्र में अपना योगदान देने के बाद, उन्होंने साहित्यिक क्षेत्र में भी अपना नाम बनाया। आज वे देहरादून की एक जानी-मानी साहित्यकार और समाजसेविका हैं।

उनके योगदान को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें सेवा रत्न, सेवा भूषण, लेखन मित्र, साहित्य अदब, नागरिक अभिनन्दन, मानव तथा साहित्य सेवा सम्मान, व्याख्यान प्रतिभागिता सम्मान, निरंतर सचित्र सृजन सम्मान आदि शामिल हैं।

सावित्री नौटियाल काला 'सवि' जी की रचनाएँ

कविता संग्रह

  • यह मेरी नदी है
  • रिश्ता
  • दरिया
  • सप्तपदी
  • पलकों की चाँदनी
  • शब्दों का सफर
  • आस्था की धरती
  • उड़ते सपने

कहानी संग्रह

  • नारी जीवन
  • सामाजिक मुद्दे
  • धरती की बेटियाँ

अन्य रचनाएँ

  • कई कविताएँ और कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित
  • सामाजिक मुद्दों पर लेख
  • महिलाओं के सशक्तिकरण पर लेख

सावित्री नौटियाल काला 'सवि' जी की भाषा शैली

सावित्री नौटियाल काला 'सवि' जी की भाषा शैली सरल, सहज और भावपूर्ण थी। उनकी भाषा शैली की कुछ प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार है -

सरल भाषा: वे सरल और सहज भाषा का प्रयोग करती थीं, जो आम लोगों को भी आसानी से समझ में आती थी।

भावपूर्ण शैली: उनकी भाषा में भावनाओं की गहराई होती थी, जो पाठकों को भी भावुक कर देती थी।

कल्पनाशीलता: वे अपनी रचनाओं में कल्पनाशीलता का भी प्रयोग करती थीं, जो उन्हें और भी रोचक बनाती थी।

विभिन्न भाषाओं का प्रयोग: वे अपनी रचनाओं में हिंदी के साथ-साथ संस्कृत, पहाड़ी और अंग्रेजी भाषाओं का भी प्रयोग करती थीं।

विभिन्न छंदों का प्रयोग: वे अपनी रचनाओं में विभिन्न छंदों का भी प्रयोग करती थीं, जो उन्हें और भी प्रभावशाली बनाती थी।

सावित्री नौटियाल काला 'सवि' जी का हिंदी साहित्य में योगदान

उनका हिंदी साहित्य में योगदान

कविता संग्रह: उन्होंने 8 कविता संग्रह प्रकाशित किए, जिनमें "यह मेरी नदी है", "रिश्ता", "दरिया", "सप्तपदी", "पलकों की चाँदनी", "शब्दों का सफर", "आस्था की धरती", "उड़ते सपने" आदि शामिल हैं।

कहानी संग्रह: उन्होंने 3 कहानी संग्रह प्रकाशित किए, जिनमें "नारी जीवन", "सामाजिक मुद्दे", "धरती की बेटियाँ" आदि शामिल हैं।

अन्य रचनाएँ: उन्होंने कई कविताएँ और कहानियाँ विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित कीं। उन्होंने सामाजिक मुद्दों और महिलाओं के सशक्तिकरण पर भी लेख लिखे।

उनका हिंदी साहित्य में स्थान

सावित्री नौटियाल काला 'सवि' जी हिंदी साहित्य की एक महत्वपूर्ण हस्ती थीं। उनकी रचनाओं ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया।

सम्मान और पुरस्कार

उनके योगदान के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया, जिनमें -

  • सेवा रत्न: उत्तराखंड से
  • सेवा भूषण: उत्तराखंड से
  • लेखन मित्र: उत्तराखंड से
  • साहित्य अदब, नागरिक अभिनन्दन, मानव तथा साहित्य सेवा सम्मान: उत्तराखंड से
  • व्याख्यान प्रतिभागिता सम्मान: उत्तराखंड से
  • निरंतर सचित्र सृजन सम्मान: उत्तराखंड से

वे अखिल भारतीय गढ़वाल सभा, यूनिवर्सिटी वूमेन एसोसिएशन, वरिष्ठ नागरिक कल्याण समिति उत्तराखंड, नवाभिव्यक्ति, हिंदी साहित्य समिति, रूल ऑफ़ द सोसाइटी, केदारखंड सांस्कृतिक न्यास मसूरी, अखिल भारतीय महिला आश्रम देहरादून में अतूल्य योगदान कर चुकी थीं।

निधन

सावित्री नौटियाल काला का आकस्मिक निधन 11 फरवरी 2023 को हुआ था। उन्होंने देहरादून के सिनर्जी अस्पताल में अपनी आखिरी सांसें ली। सावित्री काला 'सवि' ने अपने जीवन में बीस से अधिक किताबें लिखी और कई पुरस्कारों से सम्मानित हुईं। उन्होंने समाजसेवा में भी अपना योगदान दिया और शैल कला एवं ग्रामीण विकास समिति के अध्यक्ष के रूप में भी काम किया।

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